गुना। कांग्रेस ने 25 जून 1975 को देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र व संविधान की हत्या की थी। भारतीय जनता पार्टी द्वारा मंगलवार 25 जून को आपातकाल की 50 वीं बरसी को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया गया । यह आवश्यक है, कि इमरजेंसी के रूप में प्रजातंत्र का गला घोंटने का जो कुत्सित प्रयास हुआ था, देश का प्रत्येक नागरिक उसे जान सके उक्त बात भाजपा जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सिकरवार ने आपात काल पर आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
भाजपा जिला मिडिया प्रभारी विकास जैन नखराली ने बताया की मंगलवार को स्थानीय सम्राट होटल गुना में भाजपा जिला गुना द्वारा आपाल काल स्मृति दिवस मनाते हुए विचार गोष्ठी का आयोजन रखा गया। विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रदेश कार्यकारणी सदस्य अरुण चतुर्वेदी ने संबोधित करते हुए कहा की देश में 25 जून, 1975 को आपातकाल घोषित किया गया था और यह 21 मार्च, 1977 तक जारी रहा। अरुण चतुर्वेदी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा 1971 में समाजवादी नेता राजनारायण रायबरेली से इंदिरा गांधी के सामने लोकसभा चुनाव हार गए थे। इसपर राजनारायण ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर सरकारी मिशनरी के दुरूपयोग, तय सीमा से अधिक पैसे खर्च करने व मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगाए थे। 12 जून 1975 को उच्च अदालत ने आरोपों को सही ठहराते हुए अपने फैसले में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर उन्हें छह वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था। इंदिरा गांधी ने कोर्ट के आदेश को मानने से इंकार कर दिया। मनमानी करते हुए आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से अध्यादेश पारित करवाकर देश में आपातकाल लगा दिया। तत्पश्चात कांग्रेस सरकार ने सरकार विरोधियों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। और लाखों सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता व नेताओं को झूठे आरोपों में जेल में ठूंस दिया गया।। इंदिरा गांधी ने नो वकील, नो अपील, नो दलील का रवैया अपनाया। आपातकाल में अत्याचार की पराकाष्ठा होने लगी। जेल में अनेक प्रकार के अत्याचार किए गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ सहित अनेक संगठनों ने आपातकाल विरोधी आंदोलन किए। हजारों स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध के खिलाफ और मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया। अंततः 21 महीने की अवधि पश्चात 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्त हुआ।
विचार गोष्ठी को पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सूर्य प्रकाश तिवारी एवं प्रदेश कार्यकारणी सदस्य गजेंद्र सिंह सिकरवार ने संबोधित करते हुए कहा की भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। लाखों निर्दोष लोगों को जेलों में डाला गया। जिनको जेलों में डाला गया लोग उनके परिजनों से मिलने में भी घबराते थे उनके परिजनों से मित्र बंधु चोरी छिपे उनके घर जाकर परिजनों को हिम्मत देते थे इतना भय था आपात काल का।
मिडिया प्रभारी विकास जैन ने बताया की कार्यक्रम का संचालन बुद्धिजीव प्रकोष्ठ जिला संयोजक संजीव उपाध्याय ने किया एवं जिला संघठन प्रभारी डॉ गोपाल आचार्य, महामंत्री प्रदीप जी आदि बरिष्ठ पदाधिकारीयों ने काला दिवस के ऊपर प्रकाश डाला जिसमे बड़ी संख्या में भाजपा जनों ने उपस्थित रहकर विचार गोष्ठी को सुना।