एक-एक आदमी के विकास से देश का विकास निश्चित होगा – मुल्ला अलीअसगर
गुना। दाऊदी बोहरा समाज द्वारा बुधवार को ईदुल अदहा का त्यौहार बेहद सादगी के साथ मनाया गया। सुबह 5.10 पर फज्र की नमाज के साथ ईद का आगाज हुआ। 5.55 पर खुतबे की नमाज स्थानीय आमिल मुल्ला अलीअसगर शेख मुर्तजा द्वारा बोहरा मस्जिद में पढ़ाई गई। खुतबे की नमाज के पश्चात जब उन्होंने हजरत इब्राहीम द्वारा पुत्र हजरत इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का किस्सा सुनाया तथा इमाम हुसैन और उनके परिवार द्वारा दी गई कुबार्नी का दर्दनाक मंजर बयान किया तो उपस्थित प्रत्येक जन की आंखे नम थीं।
पैगम्बर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके बच्चों, भाईयो सहित परिवार को 1400 साल पहले तीन दिन तक भूखा प्यासा रखकर बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था। उस समय सीरिया और अरब की बादशाहत हड़पने तथा सत्ता कायम रखने की भूख में यजीद नामक दुराचारी शासक ने इस वारदात को अंजाम दिया था। छह माह के बच्चों तक का बेदर्दी से कत्लेआम किया गया था। इमाम हुसैन और उनके परिवार पर जालिम शासको द्वारा ढहाये गये उस कहर को याद करके मातम किया गया। इमाम हुसैन को याद कर इबादत की। सुबह 8 बजे के बाद कुर्बानियों का दौर शुरू हुआ। जिन समाजजन के यहाँ किसी कारणवश कुरबानी नहीं हो सकी उनके यहाँ अन्य लोगों द्वारा कुरबानी के तबर्रुक का वितरण कराया गया। गुना आमिल ने इस अवसर पर शहर, सूबे और हिंदुस्तान के साथ पूरी दुनिया में अमन, शान्ति की विशेष दुआ ईश्वर से मांगी। उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द कायम रहने पर ही हर इंसान की तरक्की निश्चित है। जब एक आदमी विकास करेगा तो उसके छोटे से योगदान से वह समाज, शहर, प्रदेश और पूरे भारत देश के विकास का भागीदार बनेगा। उन्होंने उपस्थित समुदाय से आव्हान किया कि इमाम हुसैन की शहादत के दिन नजदीक हैं। मुहर्रम में हुसैन का गम मनाने के लिए अभी से तैयारी शुरू करिये। प्रतिदिन हुसैन की मजलिस में शामिल होकर उनके सब्र, दुःख, त्याग और कुरबानी का पाठ सुनिए, आपका जीवन भी सफल हो जाएगा और मृत्यु पर्यन्त आपको कोई अन्य दुःख परेशान नही करेगा। अंत में धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की एकता, दानशीलता और सब्र की शिक्षा तथा हुसैन के मातम के साथ मजलिस का समापन हुआ।
इस अवसर पर शेख नूरुल हसन नूर, शेख शब्बीर, शेख इफ्तेखार, शेख यावर, हुजेफा, इरफान सहित सैंकड़ों समाजजन मौजूद रहे।