गुना / उप संचालक पशु एवं डेयरी विभाग द्वारा दी गई जानकारी अनुसार जिले में कॉल सेंटर 1962 में पशुपालकों द्वारा अपने पशुओं की बीमारी के संबंध में कॉल पहुंचते ही कुछ ही समय मे मौके पर पशु चिकित्सक मेडिकल वैन के साथ पहुंच कर इलाज की सुविधा दी जा रही है। पहले डायल 100 और 108 वाहन सेवा उपलब्ध थी। इसी क्रम में पशुओं के इलाज के लिए डायल 1962 पशु संजीवनी सेवा पिछले लगभग 10 माह में गुना जिले में संचालित 1962 पशुधन संजीवन योजनान्तर्गत चलित पशु चिकित्सा इकाई में 7685 पशुपालकों ने लाभ लिया गया है। हालांकि यह सेवा फ्री नही है। 150 रुपये का शुल्क म०प्र० शासन द्वारा निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि गुना जिले में कुल 08 वेटनरी मेडिकल वैन संचालित हैं। ज्ञात है कि पिछले साल 15 मई से 1962 पशु संजीवनी योजना के चलित वाहन की शुरुआत हुई। योजना का सही तरीके से संचालन हो इसके लिए कॉलर को 1962 टोल फ्री नंबर पर फोन लगाना होगा। कॉल सेंटर पर फोन लगाते ही वहां बैठे विशेषज्ञ को पूरी बात बतानी होगी, ताकि अधिकांश समस्या का समाधान फोन पर ही हो जाए। जब पशु मालिक पशु से संबंधित सटीक जानकारी देगा उसके बाद कॉल सेंटर के विशेषज्ञ से क्षेत्र के मेडिकल वैन पर मौजूद डॉक्टर को पशु की समस्या से अवगत कराएंगे और टीम उस स्पॉट पर जाकर पशु का इलाज करेगी।
ऐसे हो रहा संचालन – प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल सेन्टर मे कॉल रजिस्टर्ड होती है। एम्बुलेंस की सेवाएं सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक, कॉल सेन्टर में प्राप्त होने वाली कॉल्स के क्रम मे संचालन, स्थानीय रुट के आधार पर एम्बुलेंस का स्टाफ मौके पर पहुंच कर पशुओं का इलाज करेगा, सभी मेडीकल वैन में जीपीएस सिस्टम, वैन में एक ड्राइवर कम अटेंडर एक वेटनरी डॉक्टर और एटीएफओ हेल्पर, कृत्रिम गर्भाधान हेतु सेक्स सोटड सीमन की सुविधा (जिसमें मादा बछिया एवं पडिया ही पैदा होती है)।
जिले में पशुपालकों ने लिया लाभ
जिले के गुना मुख्यालय में 677 पशुपालकों द्वारा वैन से लाभ लिया है। इसी प्रकार विकास खण्ड गुना में 1928, विकास खण्ड आरोन में 1016, विकास खण्ड बमोरी में 1385, विकास खण्ड चांचौड़ा में 1623 तथा विकास खण्ड राघौगढ़ में 1056पशुपालकों द्वारा लाभ प्राप्त किया गया है।