गुना। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं स्वदेश भोपाल के सलाहकार संपादक शिवकुमार विवेक का मानना है कि एक सफल पत्रकार के लिए कम्युनिकेशन सबसे ज्यादा जरूरी है। समाज से संवाद और मैदानी संपर्क यही सफल पत्रकार के आधार है। नारद जी के पास भी यही गुण था। वह बेहतर कम्युनिकेटर होने के साथ उनका मैदानी संपर्क भी काफी था। इस लोक से उस लोक तक संवाद स्थापित कर सूचनाओं का आदान-प्रदान नारद जी करते थे। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए। अगर ऐसा होगा तो राष्ट्र विरोधी मानसिकता तैयार नहीं हो सकती।
शिवकुमार विवेक रविवार को यहां शहर के नानाखेड़ी स्थित होटल बृज बाग में नारद जयंती पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। स्वर्गीय नाथूलाल मंत्री जन कल्याण न्यास के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए प्रोफेसर ने नारद जी को संसार का प्रथम पत्रकार क्यों मानते हैं ? इसको विस्तार से समझाया। इसके साथ ही पूर्व और वर्तमान पत्रकारिता के अंतर को भी तथ्यों के साथ सरलता से सदन में रखा। इतना ही नहीं, वरिष्ठ पत्रकार ने विगत कई सालों में पत्रकारिता के बदले स्वरूप के लाभ-हानि भी गिनाए। कार्यक्रम की शुरुआत में हास्य व्यंगकार प्रदीप औदिच्य ने गुना की पत्रकारिता के इतिहास पर प्रकाश डाला। इस दौरान सार्थक संवाद ने संगोष्ठी की उपयोगिता और गरिमा को भी बढ़ाया।
संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से हुआ। अतिथि स्वागत की परंपराओं के पश्चात न्यास को लेकर जानकारी सचिव अनिल श्रीवास्तव ने प्रस्तुत की।इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष अशोक सिंह कुशवाह ने की। मुख्य अतिथि प्रभारी अधिकारी मीडिया प्रबंधन बीएस मीना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. एल के शर्मा मौजूद रहे।
पत्रकारिता लोक मंगल के लिए होना चाहिए
पत्रकारिता लोक मंगल के लिए होना चाहिए। उसका धर्म ही लोक मंगल होना चाहिए। पत्रकारिता से राष्ट्र निर्माण हो, समाज में सुधार हो और पत्रकारिता उद्देश्य पूर्ण हो, किंतु दुर्भाग्यवश वर्तमान पत्रकारिता में ऐसा हो नहीं रहा है। हो क्या रहा है वर्तमान पत्रकारिता लोक मंगल के अपने धर्म से विचलित होकर खुद का मंगल और समाज को विचलित कर रही है। राष्ट्र निर्माण और समाज कल्याण पीछे छूट चुका है और पत्रकारिता उद्देश्य विहीन बनकर रह गई है। शिव कुमार विवेक के अनुसार हमें प्रेरणा लेनी चाहिए देवश्री नारद से। जो लोक हितकारी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। इसलिए उन्हें संसार का प्रथम पत्रकार भी माना जाता है।
भीड़ बढ़ रही है पर उद्देश्य गायब
शिवकुमार विवेक के अनुसार प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया के कारण पत्रकारों की भीड़ बढ़ रही है। सिटिजन जर्नलिस्ट तक खड़े हो रहे हैं पर पत्रकारिता का उद्देश्य गायब हो चुका है। पत्रकारिता सतही, नाटकीयता से भरपूर होने के साथ मिमिक्री और मनोरंजन भी उसमें शामिल होने लगा है। इसके साथ ही पत्रकारिता विश्वास भी खो रही है। यह क्यों हो रहा है यह विचारणीय प्रश्न है। समाचार तौले नहीं जा रहे हैं। जो लिख रहे हैं वह छप रहा है और जो दिख रहा है वह दिखाया जा रहा है। विश्लेषण नहीं हो रहा है। यह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की देन है ।जिससे बाहर निकलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस सच के लिए पत्रकार लड़ते थे वह सच अब धूमिल हो रहा है।