जिले के म्याना इलाके में अपने पिता का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बैंक से पैसे निकालने के आरोपी को कोर्ट ने सजा सुनाई है। आरोपी ने तीर्थ करने गए अपने पिता का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था। उसे बैंक में लगाकर उनके खाते से पैसे भी निकाल लिए। कोर्ट ने आरोपी को 10 वर्ष की सजा सुनाई है। आरोपी पर जुर्माना भी किया गया है। मामले में फैसला चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश मोनिका आध्या ने सुनाया। वहीं शासन की ओर से पैरवी AGP राकेश व्यास ने की।
मामला वर्ष 2014 का है। आवेदक राम सिंह पुत्र दीवान सिंह यादव निवासी ग्राम टकनेरा थाना म्याना ने 17 जून 2014 को पुलिस अधीक्षक गुना को जनसुनवाई में एक आवेदन दिया था। इसमे उन्होंने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में हाट रोड स्थित बैंक में 5.50 लाख संयुक्त खाता खुलवाकर जमा किए थे। वर्ष 2012 में जब वह बैंक में रुपए लेने गए, तो बैंक अधिकारी द्वारा बताया कि आप मर चुके हैं। आपके पैसे नहीं है। आपका मृत्यु प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत गूगोर तहसील छबड़ा जिला बारा राजस्थान से प्राप्त हुआ है। उन्होंने जिंदा होते हुए मरा बता कर निकाली गई राशि दिलवाईं जाने और अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का निवेदन किया।
उस आवेदन पत्र की जांच तत्कालीन उप निरीक्षक बसंत राव गायकवाड द्वारा की गई। जांच पर से आवेदक के पुत्र रामकुमार यादव तथा ग्राम पंचायत गूगोर तहसील छबड़ा राजस्थान के पंचायत सचिव राजेंद्र मीणाज़ सरपंच कन्हैया लाल मीणा और पटेल बद्री लाल मीणा निवासी गणेशपुरा ग्राम पंचायत गूगोर पर मामला दर्ज किया गया। जांच में यह सामने आया कि आवेदक राम सिंह उर्फ रघुवीर शरण के जीवित रहते हुए आवेदक को 10 अगस्त 2009 को मृत घोषित कर 29 सितंबर 2010 को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया। इसी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदक राम सिंह के पुत्र राजकुमार यादव द्वारा गढ़ा कोऑपरेटिव बैंक गुना के संयुक्त खाते से 9 अक्टूबर 2010 को 69,263 हजार रुपए निकाल लिए गए।
प्रकरण को अभियोजन की कहानी अनुसार न्यायालय में प्रमाणित किया गया। अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष के तर्कों को सुनने के पक्ष न्यायालय ने माना कि अभियोजन संदेह से परे यह प्रमाणित करने में सफल रहा है कि घटना दिनांक को आरोपियों ने सामान्य आशय से छल एवं कूट रचित दस्तावेज तैयार किये हैं। आवेदक के जीवित रहते उसका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर आवेदक के खाते से रुपए निकाले गए हैं। न्यायालय द्वारा आरोपियों को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आरोपियों पर 6-6 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।