“सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के जिम्मेदार यातायात और प्रशासन नहीं बल्कि हम स्वयं है क्योंकि सुरक्षित सफर हम सबकी जिम्मेदारी”
शहर में हो रहे लगातार सड़क हादसे किसी आपदा से कम नहीं है सड़कों पर सुरक्षित चलना चुनौती भरा काम हो गया है शहर में हादसे रोकने के लिए सभी पक्षों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए अब सबको समझना होगा कि सुरक्षित सफर सबकी जिम्मेदारी है
हम सब ने देखा है कि जब हम सबकी भलाई के लिए पुलिस हमें रोकती है और हमसे पूछती है कि हेलमेट कहां है, तीन सवारी क्यों बैठे हो, कार चला ते समय सीट बेल्ट क्यों नहीं लगाया तो हम जबाब में पुलिस को फोन देते हैं कि लो बात कर लो कभी किसी नेता से या कभी किसी बड़े अधिकारी से, और यदि पुलिस ने बात करने से मना कर दिया तो वही नेताजी या भद्रजन स्वयं मोके पर पहुंचकर पुलिस से अनर्गल बहस करते हैं लेकिन ₹500 का चालान उनकी इज्जत का सवाल बन जाता है और फिर वही जाना माना आरोप पुलिस पर लगाया जाता है कि पुलिस ने बदतमीजी कर दी या कभी इल्जाम लगता है कि पुलिस ने थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था चाहे तो 10000 का चालान बना देती पर बदतमीजी नहीं करनी थी जो कि सरासर गलत होता है पर इन सब के बावजूद निर्दोष पुलिस वाले पर कार्रवाई होती रहती है
यह भी देखने में आया है कि लोग यातायात नियमों का पालन तो नहीं करते और हादसे का शिकार होते हैं या किसी को अपने द्वारा शिकार बनाते है
अंत में आप सभी से यही निवेदन है कि यातायात नियमों का पालन अपनी सुरक्षा के लिए करें ना कि पुलिस की चालानी कार्रवाई से बचने के लिए
धन्यवाद